मैं खुद गोंडी सीखकर उन इलाकों में पढ़ाऊंगी जहां लोग अब गोंडी बोलना भूल गए हैं (गोंडी भाषा में)
ग्राम सरोना, तहसील-नरहरपुर, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से उत्तम आतला के साथ गाँव के गोंडी टीचर राम बाई कोरेटी हैं जो गोंडी शिक्षका के लिए ट्रेनिंग ले रही हैं और उसके बारे में जानकारी बता रही है. वे उनको बता रही हैं कि वो इसी जिले की ग्राम-लोह्त्तुर आमाबेडा की रहने वाली हैं वे अभी सरोना में आकर गोंडी भाषा सीख रही हैं उसके बाद सीख कर उत्तर छत्तीसगढ़ में सरगुजा में जा कर वहां के आदिवासियों लड़के लड़कियों को गोंडी भाषा सिखाएगी | वो बोल रही है कि उनके क्षेत्र में अब लोग गोंडी भाषा नहीं बोलते है तो यहाँ सीखने बाद वहां भी स्कूल में बच्चो को गोंडी में पढ़ाएगी जिससे हमारी भाषा को बचा सके| किसी समाज की अगर भाषा ख़त्म हो जाए तो वह समाज धीरे धीरे ख़त्म हो जाता है
Posted on: Jul 24, 2018. Tags: GONDI KANKER RAMBAI KURETI
निकुन लेवाय, लेवा तुन टंडीले...गोंडी गीत
ग्राम-लोह्त्तर, पंचायत-बोलंडी, तहसील-अंतागढ़, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से शांति वट्टी, संतोषी गावडे और रामबाई कुरेटी एक गोंडी गीत सुना रहे है: इस गीत को कोलांग महोत्सव के समय गोटुल में गाया जाता है:
रे रे लोयो रे रेला रेला रे लोयो रे रेला-
निकुन लेवाय, लेवा तुन टंडीले-
किलोर वस्ताये कवर वसेताये-
सेंग जोड़-जोड़ लेयो रो जीवा उडिता-
बदिर बूम तोर वातोर नुनिले-
किलोर वस्ताये कवर वसेताये-
सेंग जोड़-जोड़ लेयो रो जीवा उडिता...