वनांचल स्वर: घटते जंगलों के कारण जानवर भू घट रहे हैं और प्रदुषण भी बढ़ा है ...

ग्राम-चाहचढ़, तहसील-भानुप्रतापुर, जिला-कांकेर (छतीसगढ़), से लखराम सलाम 1960-1965 की बात बतातें हैं उस समय जंगल बड़े हुआ करते थे| जंगले में बाघ, हिरण, सांभर, वनभैंसा, मयूर, बरहा(जंगली सुवर), खरगोश, गिलहरी और गैंडा हुआ करते थे| पेड़ों की बाते करें तो बांस के पेड़ थे| मैं उस समय 5 साल का था| जब 20-25 वर्ष का हुआ तो चीता, बरहा, खरगोश और पक्षी समय के साथ गायब होने लगे| हम लोग शिकार पर भी जाते थे| जानवरों के गायब होने का मुख्य कारण खनन है| खुदाई होते हुए 7-8 साल हो गया है, वहां से कई तरह क जहरीले पदार्थ निकलते हैं और रही बात फायदे की तो वह बाहरियों का ही हो रहा| (185556) GT

Posted on: Feb 10, 2021. Tags: CG KANKER LACHHURAM SALAM VANANCHAL SWARA

वनांचल स्वर: खनन से प्रदूषित होते जंगल...

ग्राम-चाहचढ़, तहसील-भानुप्रतापुर, जिला-कांकेर (छतीसगढ़), से लच्छूराम सलाम बताते हैं, चाहचढ़ की भूमि पर खनन होता है| वनभूमि ग्राम कि है जो कई ग्रामों के अंतर्गत आती है| खनन की वजह से लाल पानी निकलता है जो जहरीला है| लाल पानी की वजह से खेती पर भी असर हो रहा है, लोगों के स्वस्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है| पानी में लोहेकी मात्र ज्यादा है| इन खदानों में गाँव के 18 मजदूर भी काम करते हैं| खदान के मालिक कहते हैं कि खादानों से ग्रामवासियों का भी फायदा है, और यह झूठ है| ड्राईवर, मजदूर और अन्य कर्मचारी सभी बाहर के हैं| यह खनन का कार्य 2013 से शुरू हुआ और बनने में 2 साल का समय लगा| खनन कार्य 72 एकड़ में फैला हुआ है| खनन की वजह से आस पास की जगह पर हमेशा धुल उड़ती है| जिसके कारण ग्रामवासियों का स्वस्थ्य ख़राब होता है| खनन कार्य को रोकने के लिए हम लोग हर साल 15 दिनों के लिए आन्दोलन भी करते हैं, लेकिन इस साल महामारी कि वजह से आन्दोलन नहीं किया जा सका| खदान मालिकों ने लोगो को खूब बहलाया फुसलाया और लालच भी दिया, जरूरत का सामान भी दिया था|(185553) GT

Posted on: Feb 10, 2021. Tags: CG KANKER LACHHURAM SALAM VANANCHAL SWARA

वनांचल स्वर: आदिवासियों के बीच कुसुम का वित्तीय महत्व...

ग्राम-चाहचढ, तहसील-भानुप्रतापुर, जिला-कांकेर (छतीसगढ़), से लच्छूराम सलाम कुसुम का पेड़ के बारे में जानकारी दे रहे हैं| कुसुम का पेड़ को साल में दो बार छ:-छ: माह के अंतराल पर उगाया जाता है| छ: महीने में तैयार हो जाने पर काटते हैं| बाज़ार में इसकी कीमत 420 रुपया प्रति किलो है| समय के साथ दाम भी बढ़ता है| गाँव में हर आदमी लगभग 15 पेड़ उगाते हैं, वनवासी अपने ही पेड़ों को काटते हैं| 2-3 क्विंटल का उत्पादन होता है|
संपर्क@7647070617. (185559) GT

Posted on: Jan 09, 2021. Tags: CG KANKER LACHHURAM SALAM VANANCHAL SWARA

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