धान और श्रम का मुद्रा के रूप में इस्तेमाल और प्रतिदान आज भी सुदूर इलाकों में जीवित...
कासपारा, ग्राम पंचायत- मिचनार न. 1, ब्लॉक- लोहांडीगुड़ा, जिला- बस्तर, छत्तीसगढ़ से मोटूराम सोड़ी बता रहे हैं कि कैसे सुदूर इलाकों में लोग आज भी धान और श्रम को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ग्रामीण इलाकों में वजन का मापदंड होता है एक औसत आकार का डब्बा, जिसे कि पहली कहा जाता है। धान कटाई के बाद लोग आधी उपज सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पे बेचने के बाद बचे हुए आधे उपज को अपने घरों में बैंक की तरह रखते हैं। साल में जब जितनी आवश्यकता हो, वे उतना धान दुकान में बेच कर अपनी जरूरत पूरी करते हैं। खेती के समय दूसरों को श्रम के एवज में भुगतान पैसे, धान व प्रतिदान श्रम के रूप में किया जाता है। संपर्क नंबर@7587498298