छोटी उमर थी लम्बी डगर थी...रचना-
राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़) से विरेन्द्र गंधर्व एक रचना सुना रहे हैं:
छोटी उमर थी लम्बी डगर थी-
उसकी मंजिल तय हो न पायी-
एक मासूम बच्ची, निकली थी राह में-
अपने गाँव पहुंचने की चाह में-
अपने गंतव्य तक वह पहुंच न पायी-
रास्ते में सांसो को डोरी टूट गयी-
जिंदगी उसके हांथो से छूट गयी...