नहीं हुआ है अभी सबेरा, पूरब की लाली पहचान...कविता-
चट्टी, जिला-ईस्ट गोदावरी (तेलंगाना) से राजू राणा किसान को लेकर एक कविता सुना रहे हैं :
नहीं हुआ है अभी सबेरा, पूरब की लाली पहचान-
चिडियों के जगने से पहले, खाट छोड़ उठ गया किसान-
खिला-पिलाकर बैलों को लेकर, करने चला खेत पर काम-
चिडियों के जगने से पहले, खाट छोड़ उठ गया किसान-
खिला-पिलाकर बैलों को लेकर, करने चला खेत पर काम-
नहीं हुआ है अभी सबेरा, पूरब की लाली पहचान...