कलशा पानी गर्म है चीटिया नहावे झोल...कविता-
ग्राम-देवरी, तहसील-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर से सुधीर साय एक कविता सुना रहे हैं :
कलशा पानी गर्म है चीटिया नहावे झोल-
अंडा लेके चीटिया चढ़े तो जानो बरखा हो भरपूर-
खेती करे सांझ के घरे सोये, पाके खेती चोर काट के ले-
पाका भैंसा, गागर, बैल, नारी कुलक्ष्नी, बालक छय-
उनसे बाचो सब तुम लोग राज छोडके साधे जोग...