ये ऋतुएँ कितनी प्यारी, आहा कितनी न्यारी हैं...बाल कविता-
ग्राम-सिंगपुर, तहसील-पंडरिया, जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़) से कक्षा पांचवी का छात्र ओमकार एक बाल कविता सुना रहा है :
ये ऋतुएँ कितनी प्यारी, आहा कितनी न्यारी हैं-
वर्षा आती पानी लाती, धरती हरी भरी हो जाती-
खुश हो जाते सभी किसान, खेतो में लहराते धन-
पकते धान दिवाली आती, खूब सब्जियां ठण्ड खिलाती-
स्वेटर पहने तापे आग, गाँव-गाँव में होती फाग-
फिर आते गर्मी के दिन, मिले चैन न पानी बिन...