लेती नहीं दवाई माँ, जोड़े पाई-पाई माँ...कविता-
मालिघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार एक कविता सुना रहे है :
लेती नहीं दवाई माँ, जोड़े पाई-पाई माँ-
दुःख थे पर्वत, राई माँ, हारी नहीं लड़ाई माँ-
इस दुनियां में सब मैले हैं, किस दुनियां से आई माँ-
दुनिया के सब रिश्ते ठंडे, गरमा गरम रजाई माँ-
जब भी कोई रिश्ता उधड़े, करती है तुरपाई माँ-
बाबू जी तनख़ा लाये बस, लेकिन बरक़त लाई माँ-
बाबूजी थे सख्त मगर, माखन और मलाई माँ-
बाबूजी के पाँव दबा कर, सब तीरथ हो आई माँ-
नाम सभी हैं गुड़ से मीठे, मां जी, मैया, माई, माँ...