हमारे अलवरखुर्द गांव से कैसे दूसरा गांव अलवरकला बना...एक गाँव की कहानी
ग्राम-अलवरखुर्द, पंचायत-सोनेकान्हार, तहसील-भानुप्रतापपुर, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से सुखलाल सलाम बता रहे हैं कि पहले अलवरखुर्द और अलवर कला एक ही गांव था लेकिन बाद में दोनों को अलग कर दो गांव बना दिया गया उनका कहना है कि 1945 से पहले वहां मुस्लिम परिवार रहता था इन लोगो ने उस जगह का नाम अलवर खुर्द रखा था, लेकिन फिर वे चले गए, और अब वहां पूरी आदिवासी बस्ती है. कई वर्ष पूर्व गांव के एक व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी की और गांव को अलग कर अपनी बेटी को दहेज़ में दिया जिसका नाम अलवरकला पड़ा तब से वहां दो गांव है| अंकित पडवार@9993697650.