खड़ा हिमालय बता रहा है...गीत-
सीजीनेट श्रोता किशननंद विसकर्मा एक कविता सुना रहे हैं:
खड़ा हिमालय बता रहा है-
डरो न आंधी पानी से-
खड़े रहो तुम अचल होकर-
सब संकट तूफानी में-
जीवन अपने पहाड़ से तुम-
सब कुछ पा सकते हो प्यारे...
सीजीनेट श्रोता किशननंद विसकर्मा एक कविता सुना रहे हैं:
खड़ा हिमालय बता रहा है-
डरो न आंधी पानी से-
खड़े रहो तुम अचल होकर-
सब संकट तूफानी में-
जीवन अपने पहाड़ से तुम-
सब कुछ पा सकते हो प्यारे...