कैसे के करब खेती बारी सुन गोरी रे पेन्कारी...आदिवासी करमा गीत
ओमप्रकाश बघेल ग्राम जजगा, जिला सरगुजा (छ.ग.) से बोल रहे हैं और साथी दुलार दास का एक कर्मा गीत रिकार्ड करवा रहे हैं. लोग गरीबी से तंग हैं और पैसे के लिए मजदूरी करने बाहर जाना पड़ता है. खेती-बाड़ी में जो भी समस्या है, उसी को इस गीत के माध्यम से रखा गया है...
ए हे रे गा सुन गोरी पेन्कारी
कैसे के करब खेती बारी सुन गोरी रे पेन्कारी
घर आहे बूढा, बहिरा, नागर फांदे जाबोगा
सुन ला गोरी पेन्कारी
मोचेले नीदो धारी पार धारी रे, सुन गोरी पेन्कारी
ए हे हे ये ना सुन गोरी पेन्कारी
मोचेलेनीरेंगे कार्डधारी रे, सुन गोरी पेन्कारी
ए कुछेड मेढ़ी हवे एके तो घर शाम गा, सुनरे गोरी पेन्कारी
सुनोला कोनो लानी मारी रे, सुन गोरी पेन्कारी
छेमेढी जाबो लालोकारी कोइला होबोरे, सुन गोरी पेन्कारी
आसाने जोंक चाबे भारीगा, सुन गोरी पेन्कारी
ए हे हे...ये गा, सुन गोरी पेन्कारी
आसामे जोंक चाबे भारी रे, सुन गोरी पेन्कारी
नी नी डेटा बाढी नी मी ले हूँ धारी रे सुन गोरी पेन्कारी
जो कांटे कानो मालगुजारी रे सुन गोरी पेन्कारी