एक दुलारा सीजीनेट हमारा, प्यारा स्वरा एप, दुनिया में बेजोड़, अनोखा है ये सीजीनेट...कविता
ग्राम-चन्द्रेली, पोस्ट-मसगा, विकासखण्ड-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से दीपक कुमार सीजीनेट स्वर पर एक कविता सुना रहे है:
एक दुलारा सीजीनेट, हमारा प्यारा स्वरा एप-
दुनिया में बजावे बेजोड़, अनोखा है ये सीजीनेट-
गूंजे गगन में महके पवन में, हर एक के मन में सीजीनेट-
मौसम की बाहे, दिशा की राहे, सब हमसे चाहे सीजीनेट-
घर की हिफाज़त, पड़ोसी की चाहत है, सीजीनेट, हो भय्या है सीजीनेट-
हर एक की चाहत, है सीजीनेट, हो भय्या है, सीजीनेट...
Posted on: Mar 30, 2018. Tags: DEEPAK KUMAR SONG VICTIMS REGISTER
चार बिल्लियों ने मिलकर, चीकू चूहे को पकड़ा, मै खाउंगी-मै खाउंगी, हुआ सभी में झगड़ा...कविता
ग्राम-चन्द्रेली, पोस्ट-मसगा, विकासखण्ड-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से दीपक कुमार एक बाल कविता सुना रहे है:
चार बिल्लियों ने मिलकर, चीकू चूहे को पकड़ा-
मै खाउंगी,मै खाउंगी, हुआ सभी में झगड़ा-
बोला चिकू अरे मोसियों, आपस में मत झगड़ो-
दूर नीम का पेड़ खड़ा, जाकर उसको पकड़ो-
जो भी उसको छूकर, सबसे पहले आ जायेगी-
बिना किसी को हिस्सा बाटे, वो मुझको खा जायेगी-
मूर्ख बिल्लिया समझ ना पाई,सरपट दौड़ लगाई-
बिल के अंदर भागा चिकू, अपनी जान बचाई...
Posted on: Mar 29, 2018. Tags: DEEPAK KUMAR SONG VICTIMS REGISTER
गाँव गली खेतों में सीजीनेट, बाहर सीजीनेट, घर में सीजीनेट...कविता
ग्राम-चंद्रैली, पोस्ट-मसगा, तहसील-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से दीपक कुमार सीजीनेट पर एक कविता सुना रहे हैं:
गाँव गली खेतों में सीजीनेट, बाहर सीजीनेट, घर में सीजीनेट-
टप-टप बूँद पड़ती है, तो महकती है, सीजीनेट सोंधी-सोंधी-
सीजीनेट पे घर बने है, कितने सीजीनेट स्वर खड़े है कितने-
सुन्दर फूल खिलाती सीजीनेट, सबका बोझ उठाती सीजीनेट-
गमले मटके सजे सलौने, रंग-बिरंग बने खिलौने-
कुछ भी मोल न लेती, सीजीनेट सोचो, क्या-क्या देती सीजीनेट...
Posted on: Mar 27, 2018. Tags: DEEPAK KUMAR SONG VICTIMS REGISTER
अपन पैर म कुल्हाड़ी झन मार रे मोर कोयावंशी जागो जागो रे...जागृति गीत-
ग्राम-मगरवाडा, तहसील-बिछिया, जिला-मंडला (मध्यप्रदेश) से दीपक कुमार एक कोया (गोंड) जागृति गीत सुना रहे हैं:
अपन पैर म कुल्हाड़ी झन मार रे-
मोर कोयावंशी जागो जागो रे,मोर कोयावंशी जागो जागो रे-
जल जंगल जमीन हमारी धीरे धीरे लुटथे गा,धीरे धीरे लुटथे-
जल जंगल जमीन हमारी धीरे धीरे लुटथे रे,धीरे धीरे लुटथे-
मान सम्मान हमार भईया मान सम्मान हमार भईया-
एहू ह छिनथे तुम जागो जागो रे-
अपन पैर म कुल्हाड़ी झन मार रे मोर कोयावंशी जागो जागो रे...