गाँव गली खेतों में सीजीनेट, बाहर सीजीनेट, घर में सीजीनेट...कविता
ग्राम-चंद्रैली, पोस्ट-मसगा, तहसील-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से दीपक कुमार सीजीनेट पर एक कविता सुना रहे हैं:
गाँव गली खेतों में सीजीनेट, बाहर सीजीनेट, घर में सीजीनेट-
टप-टप बूँद पड़ती है, तो महकती है, सीजीनेट सोंधी-सोंधी-
सीजीनेट पे घर बने है, कितने सीजीनेट स्वर खड़े है कितने-
सुन्दर फूल खिलाती सीजीनेट, सबका बोझ उठाती सीजीनेट-
गमले मटके सजे सलौने, रंग-बिरंग बने खिलौने-
कुछ भी मोल न लेती, सीजीनेट सोचो, क्या-क्या देती सीजीनेट...