मेरे सिवा और भी हैं दुर्भागी
घर से निकला तो दुखी था इतना
कि ऐसा क्यों होता है सिर्फ मेरे साथ ही
क्यों हमेशा ली जाती है परीक्षा
मेरे धैर्य की, मेरी योग्यता की
वहां पहुंचा
तो लोगों की लम्बी कतार देख
काफी हल्का हुआ
मैं अकेला नहीं
मेरे सिवा और भी हैं दुर्भागी
अनवर सुहैल