चउ मास के पानी परागे जाना माना...छत्तीसगढ़ी कविता-
ग्राम-मेढारी, पोस्ट-करमडीहा, जिला-बलरामपुर (छत्तीसगढ़) से अंजली नेटी एक छत्तीसगढ़ी कविता सुना रहें हैं :
चऊ माँ के पानी परागे जाना माना-
अब आकाश हर चाउर सहित छारगे-
जग-जग ले अब चंदा उगथे बदल भईगे भरीहर-
पृथ्वी माता चारों खुट ले दिखथे हरियर-हरियर-
रीग बिग ले अब अन्पुन नाहर खेतन खेत माँ छागे – नदिया अऊ तरिया के पानी कमती होये लगिश...