स्वास्थ्य स्वर: बदलते मौसम में बच्चों को होने वाले सर्दी जुखाम के पारम्परिक नुस्खे...

डॉ दीपक आचार्य इस बदलते मौसम में बच्चों को होने वाली सर्दी जुखाम के पारम्परिक नुस्खे बता रहे है: मध्यप्रदेश के पातालकोट के चावलपानी गाँव है जहाँ के आदिवासी धनिया, जीरा और बज जिसे बजनाक भी कहा जाता है इन तीनों को मिला कर काढा बना लेते हैं और रात में खाना खाने के बाद देते हैं जिससे सर्दी खासी में आराम मिलता है.पातालपुर के चेम्पिपुर गाँव में बज के कंदे को बच्चों के मुंह में रख दिया जाता है जिससे छाती के बने कफ धीरे धीरे बाहर निकल जाता है.प्याज का रस और शहद भी सर्दी और खासी भी बहुत लाभदायक होता है, एक बड़ा चम्मच प्याज का रस लें और डेढ़ चम्मच शहद मिला कर चार घंटे रख दे फिर सर्दी जुखाम से पीड़ित बच्चों को पिलाएं काफी आराम मिलता है.पातालकोट के करेयाम गाँव के आदिवासी बाजरे की रोटी बनाते हैं और इसके साथ लहसुन, बैंगन और मेथी के सब्जी के साथ खाते हैं. इनका मानना है कि ऐसे भोजन करने से पेट कि गर्मी निकलती है जिससे सर्दी पर असर पड़ता है.डांग गुजरात के आदिवासी एलोवेरा के पत्तियों को भुन कर उसका रस निकालते हैं.इस रस में शहद और लौंग का चूर्ण मिला देते हैं. दिन में दो बार बच्चों को देने से काफी आराम होता है.

Posted on: Sep 24, 2018. Tags: AHMEDABAD COUGH DEEPAK ACHARYA GUJRAT HEALTH SONG SWASTHYA SWARA VICTIMS REGISTER

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