चरन कमल बंदौ हरि राइ... कविता
सुरेन्द्र पाल, ग्राम मवई, पोस्ट आलिहा, ब्लाक बघेरू, जिला बांधा उत्तरप्रदेश से एक कविता सुना रहे हैं:
चरन कमल बंदौ हरि राइ।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै , अंधे कौ सब कुछ दरसाइ।
बहिरौ सुनै , गूँग पुनि बोलै , रंक चलै सिर छत्र धराइ।
सूरदास स्वामी करूनामय , बार – बार बंदौं तिहिं पाइ...