जब आंख खुली तो मां की एक गोद का एक सहारा था
जिला चतरा, नवादा, झारखंड से राजू जी एक कविता सुना रहे हैं जिसका शीर्षक है, मां,, जब आंख खुली तो मां की एक गोद का एक सहारा था।
उसका नन्हा सा आंचल मुझको भूमंडल के प्यारा था इसके चेहरे के झलक चेहरा फूलों सा खिलता था।
इसके स्थन के बंद से मुझको जीवन मिलता था।
हाथो से बालो को नोचा पैरो से उपहार किया फिर भी उस मां का जी भर के प्यार किया।