उठो लाल अब आँखें खोलो,कविता-
जिला-रीवा (मध्यप्रदेश) से शिव कुमार एक कविता सुना रहे हैं :
उठो लाल अब आँखें खोलो-2
पानी लाई हूँ मूह धोलो-
बीती रात कमल दल फुलें-
उनके ऊपर भवरे झूले-
चिड़ियाँ चहक उठी पेड़ों पर-
नभ में न्यारी लाली छाई-
भोर हुआ सूरज उगा प्यारे मेरे अब मत सो..2