कविता : सूरज सा चमकू मैं, चन्दा सा चमकू...
ग्राम-कुकराझोर, जिला-नरायणपुर (छत्तीसगढ़) से सुखदाई कचलाम और उनके साथ स्कूली बच्चें कविता सुना रही है:
सूरज सा चमकू मैं, चन्दा सा चमकू-
जगमग-जगमग उज्वल तारो सा-
मेरी अभिलाषा है, फूलों सा महकूँ मई-
विहाग्गों का चमकू मई-
बुझी सा वन उपवन, कोयल सा कुहकू मैं-
मेरी अभिलाषा है, नभ से निर्मलता लू-
नदी से निर्न्ता लू, धरती से सहनशीलता लू-
पर्वत धीरता लू, मेरी अभिलाषा है...