हम शिवमन एक उपवन के, एक हमारी धरती सबकी...कविता
ग्राम-करकेटा, पोस्ट-जोगा, थाना-उटारी रोड, जिला-पलामू (झारखण्ड) से अखिलेश कुशवाहा एक कविता सुना रहे है:
हम शिवमन एक उपवन के एक हमारी धरती सबकी-
जिसकी मिटटी में जन्मे हम मिली एक ही धुप हमे है-
सिंचे गए एक जल से हम पले हुए है झूल झूलकर-
पल्लों में हम एक पवन के हम शिवमन एक उपवन के-
रंग-रंग के रूप हमारे अलग अलग है क्यारी क्यारी-
लेकिन हम सबसे मिल कर ही उस उपवन की शोभा सारी-
एक हमारा माली हम सब रहते नीचे एक गगन के-
हम सब शिवमन एक उपवन के सूरज एक हमारा-
जिसकी किरणे उसकी कली खिलाती एक हमारा चाँद-
चांदनी जिसकी किरणे हमे नेहलाती मिले एक से-
स्वर हमको है भौरों के मीठे गूंजन के-
हम सब शिवमन एक उपवन के-
काटो में मिलकर हम सब ने हंस हंस जीना सीखा-
एक सूत्र में बंधकर हमने हार गले के बनना सीखा...