चाउर कैसे राँधे कन्हैया, आवथ हे रास्पति..सरगुजिहा लोकगीत
चाउर कैसे राँधे कन्हैया,
आवथ हे रास्पति झुलवा डोलावे,
भाई धरे माला,
बाबा हेली झाला पानी,
गुरु धरे जयमाला..
चाउर कैसे राँधे कन्हैया,
आवथ हे रास्पति झुलवा डोलावे,
भाई धरे माला,
बाबा हेली झाला पानी,
गुरु धरे जयमाला..