बनते वही नक्सलवादी जो क़ानून के सताए होते हैं...एक कविता
पहले राजा ही करता न्याय था,
मिलती सज़ा उनको जो करता अपराध था
आज का राजा मगर पैसे से बिकने वाले हैं
मिलती सज़ा न उनको जो करते अपराध हैं
पहले के सिपाही भी सज़ा देता था
मिलती सज़ा उनको जो करता अपराध था
आज के सिपाही पैसे से बिकने वाले हैं
देते सज़ा न उनको जो करते अपराध हैं
आज के अपराधियों को प्रशासन से सुविधा मिलती है
बाहर जनता को ये पाँव तले रौंदते हैं
आज के क़ानून भी झूठ को सच बनाने हैं
बेगुनाह निर्दोष को सूली पर चढाते हैं
आज के क़ानून पैसे से बिकने वाले हैं
मिलती सज़ा न उनको जो करते अपराध हैं
बनते वही नक्सलवादी जो क़ानून के सताए होते हैं
यही बेगुनाह निर्दोष माओवादी को अपनाते हैं
हम यही चाहते हैं कि भारत में भी समानता का राज हो
दिलानी है सज़ा उनको जो करते अपराध हैं
पहले का राजा जैसा चाहते न्याय हैं
जीतेंद्र कुमार