मिलकर कदम बढ़ाएंगे, मंजिल जरूर पाएँगे...
मिलकर कदम बढ़ाएंगे, मंजिल जरूर पाएँगे
सपने सबके पूरे हों, ऐसा जहाँ बनाएंगे
न होगा विस्वासों का खून, मिलेगा सबको जहाँ सुकून
रहेगा न कोई गुमसुम, बजेगी ऐसी कोई धुन
ऐसी धून बजायेंगे, जिसे हर कोई गा पाएँगे
सपने सबके पूरे हों, ऐसा जहाँ बनाएंगे
न हो अस्क आँखों में, न हो कोई सलाखों में
अलख हर घर जला होगा, नहीं कोई छला होगा।
ऐसा जोत जलाएँगे, अँधेरा दूर भगाएंगे
सपने सबके पूरे हों, ऐसा जहाँ बनाएंगे
न होगा कलियों से खिलवाड़, न फूलों पर होगा प्रहार
न पेड़ काटे जायेंगे, न डाली तोड़े जायेंगे।
ऐसा बाग़ बनाएंगे, हर डाल पे फूल खिलाएँगे।
न हो नफरत की कोई बात, हो हरसुव प्रेम की बरसात
जहाँ सम्पूर्ण प्राणी के लिए यो हो एक सा बर्ताव