मन खुला-खुला फिरे जगत मा कैसे नाता रे...गीत-
अमृतलाल अहीर, तहसील-भरतपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से दोहा व गीत प्रस्तुत कर रहे है मन खुला-खुला फिरे जगत मा कैसे नाता रे, मन खुला-खुला फिरे जगत मा कैसे नाता रे,माता काही यह पूछे हमारी बहिन कहे रे भैया मेरे,
भई कहे यह भुजा हमारी, मन खुला-खुला फिरे जगत मा कैसे नाता रे,
पेट पकड़ के माता रौअइ 2 ,भाह पकड़ के भाई लपट-जपट के चिड़िया रोए हंस जाए अकेला, मन खुला-खुला फिरे जगत मा कैसे नाता रे, जब तक जीवय माता रोवईय बहन रोए दस मासा, तेरह दिन तक चिड़िया रोए फिर करे गरवास, जगत मा कैसे नाता रे,मन खुला-खुला फिरे जगत मा कैसे नाता रे|| संपर्क@9977741285.