पुरुवा-पछिउना से उठी रे बदरिया, बरसै लागै ना...बघेलखंडी कजली गीत
ग्राम-डभौरा, जिला-रींवा, (म.प्र.) से बहिनी दरबार से ऊषा बघेली भाषा में एक कजली गीत गा रही हैं. ये गीत सावन के माह में गाया जाता है:
पुरुवा-पछिउना से उठी रे बदरिया, बरसै लागै ना
ऊहै नान्ही-नान्ही बुंदिया, बरसै लागै ना
पुरुब-पछिउना...
अपने महलिया से ससुरू निहारैं, भीजति आवै ना
मोरी पतली पतोहिया, भीजति आवै ना
अपने महलिया से जेठ जी निहारैं, भीजति आवै ना
मोरी पतली भयहुआ, भीजति आवै ना
अपने महलिया से देवरा निहारैं, भीजति आवै ना
मोरी पतली भउजइया, भीजति आवै ना
पुरुवा-पछिउना से उठी रे बदरिया............
अपने महलिया से पिया जी निहारैं, आवत होइहीं ना
मोरी पतली निधनियां, भीजति होइहीं ना
पुरुब-पछिउना से उठी रे बदरिया, बरसै लागै ना
ऊहै नान्ही-नान्ही बुंदिया, बरसै लागै ना