पीड़ितों का रजिस्टर: गांव छोड़कर 2015 में गांव से शांतिनगर नारायणपुर आ गए
बुधराम सलाम, ग्राम पंचायत-कोहकामेटा, ब्लाक-ओरछा, जिला-नारायणपुर (छत्तीसगढ़) से बता रहे हैं उनके पुराना गांव में बच्चें लोग बहुत बीमार रहते थे। इसलिए वे अपना गांव छोड़कर 2015 में गांव से शांतिनगर नारायणपुर आ गए। मजदूरी कर के अपना जीवन यापन कर रहे हैं। हॉस्पिटल से दवाई करते थे परंतु ठीक नहीं होता था। और जब से कोरोना आया है तो डर नहीं करवा रहे हैं। कोरोना के वजह से अपने बच्चो को हॉस्पिल्ट नहीं ले जा रहे हैं पॉजिटिव आने से बंद कर देंगे इसलिए नहीं जा रहे हैं। वे पीड़ित परिवार से नहीं हैं। उनके छोटे भाई नक्सल पीड़ित परिवार से थे। अपना गांव छोड़कर शांतिनगर में आया था नक्सली डर से फिर बीमारी से उनका मृत्यु हो गई फिर बड़े भाई उनके ही घर में रह रहे हैं। उनका छोटे भाई का बच्चे को देख भाल कर रहे हैं। पुराना गांव में उनको जाने में परेशानी होती हैं। अभी भी डर हैं गांव जाने में उनके बड़े भैया पूरा गांव में ही रहते हैं और खेती बाड़ी करते हैं।