आदिवासी जंगल में नाचते गाते हैं...गीत-
जिला-राजनांदगांव(छत्तीसगढ़) से वीरेंद्र गंद्रव गीत सुना रहे है|
महुआ ही पीते हैं महुआ ही खाते हैं-
आदिवासी जंगल में नाचते गाते हैं-
आदिवासी जंगल में मंगल मनाते हैं-
अपने जीवन को सुखमय मनाते हैं-
रोगी हुए तो जड़ी बूटी है-
रोगों से हो जाती जल्दी छुट्टी है-
स्वस्थ है मस्त है बॉडी जबरजस्त है-
घर में गरीबी है फिर भी नहीं कष्ट है...