वनांचल स्वर- लॉकडाउन में दिया वन ने साथ...
ग्राम-चाहचड़, तहसील-दुर्गुकोंद्ल, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से संतराम सलाम बताते हैं कि लॉकडाउन के समय जीवनयापन करना मुश्किल था, भोजन उपलब्ध नहीं था बहुत तकलीफ थी। महुआ ही था उसी से दो तीन प्रकार की चीज़ जैसे लाटा भूंज, और सब्जी बनाकर उसमें सरई का बीज डालते थे। जब महुआ खत्म होने लगा तब कोलियारी, हवाली भाजी, खट्टा भाजी बनाया जाता था। जब नमक, मिर्च खत्म होने लगा तब व्यापारी से बात करके गांव में उपलब्ध करवाया गया। हम लोगों ने हर्रा, बेहड़ा खाया और काफी सारे बच भी गया था, तब हमने व्यापारियों को गांव बुलाकर बेच दिया। हमें जो पैसे मील थे उनसे हमने जरूरत का सामान खरीदा। हम लोग जंगल से भाजी, चेरोटा, करोल, बांस और कढ़ी का छोटा छोटा पौधा लेकर आए।
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