देश की माटी देश का जल...कविता-
सीजीनेट के साथी विवेक सभी को रक्षाबंधन बंधन और स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुये एक कविता सुना रहे हैं:
देश की माटी देश का जल-
हवा देश की देश का फल-
सरल बने प्रभु सरल बने-
देश के घर और देश के घाट...
सीजीनेट के साथी विवेक सभी को रक्षाबंधन बंधन और स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुये एक कविता सुना रहे हैं:
देश की माटी देश का जल-
हवा देश की देश का फल-
सरल बने प्रभु सरल बने-
देश के घर और देश के घाट...