मुझे यार अपना न समझो मै तो बड़ा कमीना हूँ...व्यंग्य रचना-
मरवाही, जिला-बिलासपुर (छत्तीसगढ़) से कामता प्रसाद शर्मा व्यंग्य रचना सुना रहे हैं :
मुझे यार अपना न समझो मै तो बड़ा कमीना हूँ-
छल फरेब कर सता सताकर मुश्किल करता जीना हूँ-
मुझे यार अपना न समझो, मन ही मन मै गाली देता ऊपर से मुश्काता हूँ-
अड़ियलपन भीतर से रखता फिर भी शीश झुकता हूँ-
मै गरीब इनसानों का पीता खून पसीना हूँ-
घड़ीयाली आंसू रोता हूँ हांथी सा अड़ जाता हूँ-
कुत्ता बनकर द्वार न छोडूं गदहा सा मै खाता हूँ...