भ्रष्ट हवे ज़माना, भ्रष्ट हो गए राज, विपक्ष विद्रोही दिखाए, बर हो गए नाश...कविता
तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से राजेन्द्र गुप्ता छत्तीसगढ़ी में आज के परिवेश के बारे में एक स्वरचित रचना सुना रहे हैं:
भ्रष्ट हवे ज़माना, भ्रष्ट हो गए राज-
विपक्ष विद्रोही दिखाए, बर हो गए नाश-
धन हमर छत्तीसगढ़ का, कर बर्बाद-
इक राधा थन महतारी की, आधा जन बाप-
और पेड़ लगाईंस बबूल के, तो आमा कयसन फड़ही-
झनित करो इते बड़ाई, ये जिंदगी हवे दो दिन के रे भाई...