रेल चली भाई रेल चली, लेकर अपना मकसद ख़ास...बाल कविता
तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़)से कन्हैयालाल पड़ीयारी एक कविता सुना रहे है:
रेल चली भाई रेल चली, लेकर अपना मकसद ख़ास-
घुमा फिरा कर फ़िर ले आया, रख अपना ख़ास विश्वाश – दिल्ली दिखाया बम्बई दिखाया, कलकत्ता से ले गया मद्रास-
छोटा बड़ा सभी जगह दिखाया, पटरी पर ले अपना हास-
स्टेशनों का कर जायेजा, कर सिटी पर अपना विश्वाश-
माल ढ़ोया सवारी चढ़ाया, फ़िर भी न खोया अपना स्वास्थ्य-
रोज़ चलता फ़िर भी नही थकता, वह देखता नही अपने आस-पास...