मया प्रीत के गोठ-गोठिया के, उन्गछा दे त दुनिया भर के सुख ला पाबे...छत्तीसगढ़ी कविता
तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ीयारी एक रचना सुना रहे है:
काकरों संग मा लड़बे झन झगड़बे, लड़ाई झगड़ा मा कछुच नई मिले-
मया प्रीत के गोठ-गोठिया के, उन्गछा दे त दुनिया भर के सुख ला पाबे-
हंसी ख़ुशी म ज़िन्दगी कट जाई, दोनों कुल के नाम जस होई-
आगो के रस्ता ला घलो देख, मेनखे जन्म ला पायें हस-
चिराई चिरगुन क झन दी, ऊँद के भंडार ला ते पायें हस-
जनावर पशु मन झन लड़, सुघर जीवनी म ते आय हस-
बिलाई कुकुरकर झन कर, तै हवस पढ़ा लिखा मेनखे...