काच की बांस की बहंगिया, बहंगी लचकत जाय...लोकगीत
सरैया बाजार, मुज़फ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार एक पारंपारिक लोकगीत सुना रहे हैं :
काच की बांस की बहंगिया, बहंगी लचकत जाय-
हो काना सुरुज देव सहैया बहंगी घाट पहूंचाय-
बाटा जे पूछे ला बटुहिया, पीपल बई के करत जाय-
अनारी होइहे रे बटुहिया पीपल अदित देव के जाय-
पीना न बाजु बाबू पियरिया बेलैय अरगिया के बेर-
चलाया न सुमन बाबू संगवा बेलैया अरगिया के बेर...