लालच नही करना चाहिए, जो हमारा है वो हमें किसी भी रूप में हो, मिल ही जाता है...कहानी
एक गाँव में तीन दोस्त थे एक मूर्तिकार दूसरा चित्रकार और तीसरा ब्राम्हण था ब्राहमण तंत्र-मंत्र में निपुण था, वे जिस जगह रहते थे, धंधा ठीक से नही चलने के कारण उन्होंने दूसरे जगह जाने का सोचा और जगह छोड़कर जाने लगे, जाते हुए तीनो एक शहर में रुके, वहां चोर-लुटेरे बहुत थे, इसलिए तीनो ने 4-4 घंटा जागकर रात बिताने का तय किया, पहले मूर्तिकार ने पहरा दिया, फिर चित्रकार ने उसके बाद ब्राहमण ने, मूर्तिकार सोचा क्यों ना काम किया जाय और एक सुंदर मूर्ति बनाया, जब चित्रकार की बारी आई तो उसने रंगकर उसे और सुंदर बना दिया, उसके बाद ब्राम्हण ने अपने मंत्र विद्या से उसे जीवित कर दिया, जिससे मूर्ति एक सुंदर कन्या में परिवर्तित हो, लेकिन अब तीनो में उसे पाने को लेकर विवाद होने लगा, तब तीनो एक न्यायाधीश के पास पहुंचे और अपनी समस्या बताई न्यायाधीश ने कहा गढ़ने वाला तो माता-पिता होता है, जीवन देने वाला भगवान होता है, और सजाने वाला पति होता है इसलिए कन्या सजाने वाले को मिलना चाहिए|इससे हमें सीख मिलती है किसी चीज का लालच नही करना चाहिए, जो हमारा है वो हमें ही मिलता है चाहे वो किसी भी रूप में हो| कन्हैयालाल पडिहारी@9981622548.