संगीत भी जीवन का प्रतीक है...रचना
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार एक रचना सुना रहे हैं:
संगीत भी जीवन का प्रतीक है-
दिल लेते हमारा वो जीत है-
क्या थे वो बैजू बावरा तानसेन-
जो संगीत से पानी बरसा देते थे-
सरस्वती की स्वर बाहव रोते को हंसा देते थे-
पर आज कल के संगीत में देखिये-
अश्लीलता से भरी बाजार है-
पुहर गानों की भरमार है-
न साहित्य न संस्कार है-
ऐसे ही कलुगी संगीतकार हमारे मोहल्ले में पधारे सूर्य नाग्दीश शाह
गधे से डकारे उनका संगीत सुन विश्व ने किया दरवाजा बंद तब संगीत कार ने
माइक का किया प्रबंध अरे परोसियो बच नही सकते सुनना होगा तुम्हे हँसते-हँसते मुझे उंचाई में जाना है...