लाज आँखिन से ओकरा ढरकिये गइल...भोजपुरी कविता -
सुनील कुमार संजय सिंह दीवान के साथ एक भोजपुरी रचना सुना रहे हैं:
लाज आँखिन से ओकरा ढरकिये गइल-
गाँठ पर गाँठ बान्हल सरकिये गइल-
उ कबो नाहीं तकलस चुहानी का ओर-
तबो संवचल सहेजल खरकिये गइल-
रंग पोतलस महीनन ले सउंसे बदन-
बीचे हंसन के कउआ बरकिये गइल-
भीत माटी के सजलस चनेसरी गज़ब-
सुनके धरती के आहट दरकिए गइल-
मन के बछरू के सजलस तबो ना सजल-
एगो छिउंकि चलल उ छरकिये गइल...