जाड हर कैसे सताथे देख तो गा संगी जाड हर कैसे सताथे...ठण्ड पर छत्तीसगढ़ी कविता -
तमनार, रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडिहारी छत्तीसगढ़ी भाषा में एक कविता सुना रहे हैं :
जाड हर कैसे सताथे देख तो गा संगी जाड हर कैसे सताथे – गोदरी रजाई हा बईहा ला बलाथे – पानी हर कारा होगे आगी होगे ठगुआ – खटिया ला लात मरीन पैरा होगे भगुआ – बेरा हर ठाड़ होगे डिसना हर नई छोड़य –
काम बूता ठप्प होगे जाड बेर्रा हर नई छोड़े – डोकरा बाबा डोकरी ला थर-थरत कहिथे...