चल रही है शीत लहरी, शीत लहरी चल रही...ठण्ड पर कविता -
विश्वविद्यालय के छात्र इम्तियाज़ अहमद ठंड में ठिठुरते लोगों कपड़े कम्बल से मदद कर रहे हैं, उनके इस जज्बे को सलाम करते मुजफ्फरपुर से सुनील कुमार एक कविता पेश कर रहे हैं :
चल रही है शीत लहरी, शीत लहरी चल रही-
क्या कहें हम रात को हमको दुपहरी खल रही-
जानते हो बुझ गये कैसे शहर के सब अलाव-
खा गये नब्बे कमीशन, दस की लकड़ी जल रही-
फुटपाथ पर बूढ़े भिखारी मर रहे हैं ठंड से-
रहनुमाओं के यहां कुतिया विदेशी पल रही...