मृत्यु है तो डर है, डर है तो मृत्यु है...कविता -
तमनार, रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडिहारी एक कविता सुना रहे हैं :
मृत्यु है तो डर है, डर है तो मृत्यु है – मृत्यु है तो डर डर कर क्यों जीयें – मरना है तो कुछ अच्छा काम कर के मरे –
शरीर तो छोड़ कर चला जायेगा कम से कम नाम तो रह जायेगा – क्या लिया क्या दिया उसका हिसाब कोन रखता है – जो कुछ भला कर जाता है उसी का नाम जग में रह जाता है – ये धरती माता सबकी है पर इसे कोई कोई ही जान पता है...