सैला बरे पैला बरे: पारंपरिक सैला गीत...
ग्राम-छुल्कारी, जिला-अनूपपुर (मध्यप्रदेश) से रेवालाल केवट अपने साथियों के सांथ एक पारंपरिक सईला संगीत प्रस्तुत कर हैं. ये गीत मध्य भारत में निवास करने वाले गोंड जनजाति के लोग दशहरा, दीपावली, नवाखाई के अवसर पर गाया करते है, यह गीत और नृत्य इस समय रेवालाल जी के गाँव में चल रहा है जिसे वे अपने फोन के माध्यम से सीजीनेट के सुनने वाले साथियों के साथ बांटना चाहते हैं. इन समारोहों में अक्सर पूरा गाँव ही शामिल होता है और बच्चे, बूढ़े, महिलाओं सहित सारे लोग नृत्य और गीत में शामिल होते हैं और कोई दर्शक नहीं होता। पर दुखद है कि ये प्राचीन परम्पराएं अब धीरे धीरे कम और ख़त्म होती जा रही है और नयी पीढ़ी इसमें कम ही रूचि ले रही है. अभी के गीत के बोल हैं : सैला बरे पैला बरे-