उनको मालुम न गर, सताने की हद...गजल
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार सुजीत कुमार सिंह ‘समर’ की गजल को सुना रहे है :
उनको मालुम न गर, सताने की हद-
आप भी रखिये इक निभाने की हद-
इससे पहले कि कोई रुसवाई हो-
जानिये इश्क़ को जताने की हद-
अश्क़ बह जाना भी कभी जरुरी है-
ज़हर बन’-न जाए, मुस्कुराने की हद-
कल कहीं तनहा ,खुद न कर दे उन्हें-
आज अपनों को आजमाने की हद...