मजबूरी का मजदूर, मजदूर की जिंदगानी...कविता
कानपुर (उत्तरप्रदेश) से के.एम. भाई एक कविता सुना रहे हैं :
मजबूरी का मजदूर-
कभी अन्न तो कभी तन-
कभी भूख तो कभी दर्द-
कभी दवा तो कभी नशा-
कभी लाज तो कभी हया-
कभी सांस तो कभी जुआ-
मजबूरी का नाम मजदूर हुआ-
कभी गरीबी तो कभी बिमारी-
कभी बेबसी तो कभी लाचारी-
हर मजदूर की यही कहानी-
मजबूरी ही है हर-
मजदूर की जिंदगानी-
मजदूर की जिंदगानी ...