गर्म हवाओं के झोंके हैं अच्छे दिन, सचमुच धोखे ही धोखे हैं अच्छे दिन...गजल-
मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार महेश कटारे सुगम की गजल सुना रहे है:
गर्म हवाओं के झोंके हैं अच्छे दिन-
सचमुच धोखे ही धोखे हैं अच्छे दिन-
बढ़ी कीमतों से रातों की नींद उड़ी-
देख देख कर सब चोंके हैं अच्छे दिन-
अच्छे दिन आएं न आएं क्या मतलब-
सत्ता पाने के मौके हैं अच्छे दिन-
चमकदार वादों रंगों से पुते हुए-
सुन्दर से खाली खोके हैं अच्छे दिन-
क्या बतलाये सुगम खबर तो सबको है-
किसने आने से रोके हैं अच्छे दिन...