विकास, रफ़्तार, तरक्की चीख रहा है, पुकार रहा है पानी पानी...कविता
आम गोला, जिला-मुजफ्फपुर (बिहार) से कलाकार साहित्यक दिनेश प्रसाद देश में हो रहे जल सकंट को लेकर बात कर रहे है:
विकास,रफ़्तार, तरक्की चीख रहा है, पुकार रहा है पानी पानी-
गोया हुकूमत निज़ाम, श्रम की आचल ओढे, हुआ जा रहा है पानी, पानी-
यु तो कुदरती हक़ है, दरकार भी है, तभी तो अवाम मांग रहा है पानी,पानी-
गोया चुल्लू भर पानी ही तो चाहिए, डूबने इतराने खातिर-
सुख रही है द्र्बेमान की जड़े, हर तरफ धूल धूसर है, बस हज़ार बरस की दुआ ना देना दादी नानी...