स्वस्थ संस्कृति का निर्माण करे : विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर आव्हान-
मुजफ्फरपुर बिहार से सुनील कुमार रंगकर्मी यादव चन्द्र के बारे में बता रहे है जिन्होंने प्रेमचंद की कहानी सवा शेर गेहूँ, कफन, पूस की रात का नाट्य रुपांतर किया. उन्होंने रंगमंच के साथ रंगकर्मियों को संगठित करने का कार्य किया. रंगकर्म को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आपातकाल में भी नुक्कड़ पर जाकर लोगो को चेतना जगाने का कार्य किया.नागार्जुन के साथी सम्मानों व पुरस्कारों से दूर रहें. श्रमजीवी जन गण के बीच उन्ही के स्तर पर घुलमिलकर रहने की सादगीपूर्ण जीवनशैली व मार्क्सवादी जीवन दर्शन को तन मन में समाने वाले सांस्कृतिक योद्धा यादव चन्द्र जहाँ कफन नाटक में घीसू की भूमिका में होते वहीं इन्कलाब जिंदाबाद नाटक में वृद्ध होने के बावजूद जोरदार अभिनय किया करते थे. सुनील@9308571702