एक किरण जो सूरज से, बिखर-बिखर कर पूरब से...कविता
ग्राम-तमनार, जिला- रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से बाल साहित्यकार डॉ.पी.एस.पुष्प एक कविता सुना रहे हैं :
एक किरण जो सूरज से, बिखर-बिखर कर पूरब से-
सारे तम को धो देती है, देखो कितना धीरज से-
एक बूँद वर्षा से छनकर, शीपी में सुन्दर से ढलकर-
नई कहानी गढ़ जाती है, प्यारी सी वह मोती बनकर-
सीख यही तुम ले लो बच्चों, एक धरा ईश्वर है बच्चो-
आपस के रिश्ते नातों को, समता से तोलो तुम बच्चों...