गुमनाम अँधेरे का शहीद...सुभाष चन्द्र बोस की 119 वी जयंती पर कविता
साहस और शौर्य के प्रतीक शहीद सुभाष चन्द्र बोस (गुमनामी बाबा) की 119 वी जयंती पर शत शत नमन के साथ के एम भाई यह कविता प्रस्तुत कर रहे हैं:
शहीदों की चिताओं पे न फूल होंगे-
न होंगे मेले, न होगा कोई बाकी निशाँ-
वतन पे कुर्बानी देने वाला रहेगा सूनसान-
न कोई जश्न होगा-
न होगा कोई इन्कलाब-
हर एक शहीद बन जायेगा एक ख़्वाब-
न रक्त बहेगा-
न होगा क्रान्ति का आह्वान-
अब न होगा कोई सुभाष बलिदान-
भारत हो या जापान-
आज़ाद हिन्द फ़ौज का-
हर एक सिपाही कहलायेगा गुमनाम...