वक्त बुरा है इसीलिए तो वो घबराती है...गिरीश पंकज की कविता
मालीघाट,जिला-मुजफ्फरपुर, (बिहार) से सुनील कुमार गिरीश पंकज की एक कविता सुना रहे है:
वक्त बुरा है इसीलिए तो वो घबराती है-
रोती है माँ जब बेटी बाहर जाती है-
सुंदर थी दुनिया कितनी, अब क्या से क्या हो गई-
रोज यहाँ पर मौत हमारे सर मंडराती है-
जाने कब ऐ बारूदो से बाग उजड़ जाए-
यही सोच कर तितली रानी पास न आती है-
नन्ही सी चिड़िया बेचारी, क्या जाने धोखा-
दाना पानी देख जाल में खुद फस जाती है...